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जब हे कवन पापा सजे बरियात हे

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बेटा के सहाना: जब हे कवन पापा सजे बरियात हे

  • स्वर: चेतना सिंह
  • गीतकार: अज्ञात
  • रिकॉर्ड लेबल: आपन गीत

लिरिक्रस

जब हे कवन पापा सजे बरियात हे,
अरे ! तब ए कवन समधी के दलकी समाला हे !
जब हे कवन पापा सजे बरियात हे,
अरे ! तब ए कवन समधी के दलकी समाला हे !
अरे ! तब ए कवन समधी के दलकी समाला हे !
अरे ! घरे घरे ग्वालिन सब दहिया जमावे हे !
अरे ! घरे घरे ग्वालिन सब दहिया जमावे हे !
अरे ! से सुन लीं कवन सुबवा मन हीं आनंद हे !
अरे ! से सुन लीं कवन सुबवा मन हीं आनंद हे !
अरे ! आवsतारें ससुर के दलवा पापा घरवा लुटे हे !
अरे ! आवsतारें भसुर के दलवा चाचा घरवा लुटे हे !
अरे ! आवsतारें भसुर के दलवा चाचा घरवा लुटे हे !
अरे ! आवsतारें देवर के दलवा भइया घरवा लुटे हे !
अरे ! आवsतारें देवर के दलवा भइया घरवा लुटे हे !
अरे ! आवsतारें देवर के दलवा भइया घरवा लुटे हे ! अरे !
दुअरा पर लुटिहन अन्न – धन सोनवा हे !
अरे ! दुअरा पर लुटिहन अन्न – धन सोनवा हे !
अरे ! अँगना लुटिहन दुलारी धिया तोहार हे !
अरे ! अँगना लुटिहन दुलारी धिया तोहार हे !
दुअरा पर लुटिहन अन्न – धन सोनवा हे !
अरे ! दुअरा पर लुटिहन अन्न – धन सोनवा हे !
अरे ! अँगना लुटिहन दुलारी धिया तोहार हे !
अरे ! अँगना लुटिहन दुलारी धिया तोहार हे !

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