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हाथी लेले उतरेलें समधी

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द्वार लगाई गीत: सीता के वर बड़ा छोट हे!

  • स्वर: चेतना सिंह
  • गीतकार: अज्ञात
  • रिकॉर्ड लेबल: आपन गीत

लिरिक्स

हाथी लेले उतरेलें समधी,
दशरथ समधी।
हाथी लेले उतरेलें समधी,
दशरथ समधी।
बान्हेलें हथिया चननवा के गछिया – 2
अपना महलिया से निकले लें जनक पापा,
काहे समधी बान्हिलें चननवा का गछिया।
काहे समधी बान्हिलें चननवा के गछिया।।
अपना महलिया से निकलेली सीता बेटी – 2
काहे पापा बोलिलें झरा झरी बोलिया।
काहे पापा बोलिलें झरा झरी बोलिया।।
आजु त बानी पापा रउरी चौपरिया – 2
होत ही पराते पापा जइहे बरियतिया।
होत ही पराते पापा जइहे बरियतिया।।
आपन हाथी पापा नाथे नथइह – 2
भोरे परदेशी लोग के साथे चली जइब।
भोरे परदेशी लोग के साथे चली जइब।।

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