सोमवार, अप्रैल 7, 2025

शिवजी जे चलेलें

शिव गीत: नदिया किनारे शिवजी

  • स्वर: चेतना सिंह
  • गीतकार: अज्ञात
  • रिकॉर्ड लेबल: आपन गीत

लिरिक्रस


शिवजी जे चलेलें तिरहुत नहाये,
गौरा देई चलेली संगलोर हे।
गौरा देई चलेली संगलोर हे ।।
एक कोस गइलें,
शिवजी दुइ कोस गइलें।
गौरा देइ के घरवा पठाए हे।
गौरा देइ के घरवा पठाए हे।।
हम तइसे पूछिलें आ हो ए महादेव,
गोरे महावर कइसे हो सु हे।
गोरे महावर कइसे हो सु हे।।
तोरा नइहरवा गौरा हमरा ससुररिया,
सारी सरहज करेली मजाक हे।
सारी सरहज करेली मजाक हे।।
हम तइसे पूछिलें आ हो ए शिवजी,
पियर धोती कइसे होला हे।
पियर धोती कइसे होला हे।।
तोरा नइहरवा गौरा हमरा ससुररिया – 2
सार दिहलें धोती पहिराइ हे।
सार दिहलें धोती पहिराइ हे।।
इहो त ए शिवजी गले रे गुलेलनी,
सौतिन हमरा कइसे हो सु हे।
सौतिन हमरा कइसे हो सु हे।।
तोरा नइहरवा गौरा हमरा ससुररिया – 2
ससुर दिहलें अंगूरी धराई हे।
ससुर दिहलें अंगूरी धराई हे।।

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